Monday, November 25, 2019

चित्रपदा छंद- Hindi poetry


Explained By - Mr. Krishna Shrivastav ji
Hata , Kushi-Nager (U.P.)
चित्रपदा छंद
सर्वप्रथम श्री गणेश जी के चरणों में प्रणाम करता हूँ ततपश्चात माँ शारदे के चरणों मे नमन करता हूँ।
साहित्य अनुरागी समूह द्वारा चलाये जा रहे छंद की कार्यशाला के सफलतम क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं कृष्णा श्रीवास्तव आप सभी उद्भट विद्वजन के समक्ष चित्रपदा छंद का विधान उदाहरण के साथ अभ्यास हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ। साहित्य के क्षेत्र में कोई परिपूर्ण नहीं होता और मैं तो सहित्य का एक साधारण सा विद्यार्थी हूँ अतः कुछ त्रुटियां सम्भाव्य हैं, जिसके लिए मैं अग्रिम रूप से ही क्षमा प्रार्थी हूँ।

चित्रपदा छंद का विधान उदाहरण सहित आप सभी के अवलोकनार्थ सादर समर्पित है।

चित्रपदा छंद
जाती - अनुस्ठुप (8 वर्ण हर चरण में)

लक्षण - चित्रपदा भ भ गा गा ।
अर्थात
हर चरण में क्रम से
भगण भगण गुरु गुरु वर्ण हो।
यथा
211 211 22
नियत मापनी।
चार चरण
दो दो अथवा चारो चरण अथवा सम चरण तुकांत लिए जा सकते है।

उदाहरण-1
211 211 22
सीय जहीं पहिरायी।
रामहि माल सुहायी।
दुदुभि देव् बजाये।
फूल तहीं बरसाये।
केशवदास (रामचन्द्रिका से)

उदाहरण-2
211 211 22
रामहि नाम पियारा।
जीवन एक सहारा।
हे!प्रभु दीनदयाला।
मो पर होहुँ कृपाला।

कृष्णा श्रीवास्तव
-------------------------------------------
 चित्रपदा छंद
प्रत्येक चरण 8 वर्ण
मापनी

211 211 22
भगण भगण गुरु गुरु
दो -दो चरण समतुकांत

हार, हरा कर आना ,जीत जरा भर लाना।
भारत ध्वज निहारो ,जा अरि मुण्ड उतारो ।।

मात कहे सुत मेरे ,रक्त बहे रग तेरे ।
तो बढ़ जा रिपु मार ,सिंह समान दहाड़ ।।

बाज उठी रणभेरी ,जा लड़ ले बिन देरी ।
गौरव गान सुनाना ,भारत मान बढ़ाना ।।

दुश्मन से टकराते ,युद्ध कला सिखलाते ।
हिम्मत जो दिखलाते ,वीर वही कहलाते ।।

अभय आनंद
विष्णुपुर, बांका, बिहार व
लखनऊ , उत्तरप्रदेश
---------------------------------------------
 चित्रपदा छंद
प्रत्येक चरण 8 वर्ण
मापनी

211 211 22
भगण भगण गुरु गुरु
दो -दो चरण समतुकांत

मात-पिता जग सारे,भूल गये सुत प्यारे।
जा परदेश विराजे,बैठ वहाँ बिन काजे।

माँ ममता अनुरागी,पिता बने सहभागी।
दर्द दवा महतारी,माँ जग में उपकारी।

बालक रोग शरीरा,माँ उर होत अधीरा।
देव बसे गृह मेरे,कष्ट मिटे शिशु तेरे।

माँ बिन बालक रीता,माँ जग में गृह भीता।
सृष्टि बसी जग सारी,पूजन माँ अधिकारी।

रंजना सिंह "अंगवाणी बीहट "
बेगूसराय, बिहार
----------------------------------

चित्रपदा छंद
प्रत्येक चपण 8 वर्ण
मापनी

२११ २११ २२
भगण भगण गुरु गुरु
दो दो चरण समतुकांत

बात जरा तुम मानो,काम यहाँ सब आना,
जीवन राह सुधारों ,मान न सादर मारो ।

साथ यहाँ तुम देना,प्यार यहाँ सब लेना,
चार दिनों यह मेला,हार यहाँ सब झेला ।

झूठ सदा तुम छोड़ो,मानव से मन जोड़ो ,
है जिनके मन छोटे,अंदर से वह खोटे ।

जो अब मान बढ़ातेमैं तब ही रखु नाते,
जीवन में सहभागी ,साजन वो अनुरागी ।

रजिन्दर कोर (रेशू)
अमृतसर
---------------------------------
चित्रपदा छंद
4 चरण
प्रत्येक चरण 8 वर्ण


21121122
भगण भगण गुरु गुरु

**************

जो भय से भय खाता ,जीत नहीं वह पाता
शौर्य प्रकाश बिखेरे ,काँप उठे रिपु डेरे।
************
हर्षित है जग सारा ,प्रीति प्रवाहित धारा।
व्याकुल नैन मिले हैं ,सुन्दर पुष्प खिले हैं।

************
कोटिक चन्द्र लजे है ,मोहक श्याम सजे है।
गीत धरा शुचि गाये। ,माँ निज लाल खिलाये।
*************

मोहन को अति भाये ,जो मुरली सुख पाये।
शोभित ब्रज किशोरी ,मुग्ध प्रमोद घनेरी।

************
पीत प्रभा रवि आये ,भोर उषा शुचि लाये
प्राण भरें नित आशा .पूर्ण करें अभिलाषा।
**************

माधव ज्ञान सुनाते .अर्जुन शीश झुकाते
धर्म प्रकाश बढ़ेगा .जो नर पुण्य करेगा।
************
गीता गुप्ता 'मन'
उन्नाव,उत्तरप्रदेश

---------------------------------------
चित्रपदा छन्द- वार्णिक छन्द
8 वार्णिक अंत 2 गुरु अनिवार्य
मापनी- 211 211 22

भगण भगण गुरु गुरु
दो दो या चारो चरण समतुकांत
विषय:- पावस

पावस मौसम आयो, कोकिल गान सुहायो,
आँगन झूलत झूला,प्रीतम प्रेम छबीला।
**********************
बाखर भीगत राधा,माधव प्रेम अगाधा,
नैनन ओझल धामा, वैभव भूषण श्यामा।
***********************
दीपक नेह जलाए, केशव द्वार न आये,
जीवन प्राण अधीरा,माधव कंटक पीरा।
***********************
मोहन भोग लगाओ,माखन मोदक खाओ,
तारण दो त्रिपुरारी,माधव श्याम मुरारी।
**********************
नीरज कोमल नैना, कुंतल केश सलोना,
मोहक प्रीत निहारूँ,पंकज पाद पखारुँ।
*************************
रचनाकार
डॉ नीरज अग्रवाल
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

--------------------------------------------
चित्रपदा छ्न्द
वर्णिक 8 वर्ण , अंत 2 2 अनिवार्य,
.....

211 211 22
पुष्प बनो तुम प्यारे, राह बना चल न्यारे।
जीव यहां भरमायें, दुर्लभ ये तन पायें।
.....
प्रेम करो सब प्राणी, सुन्दर हो सुर वाणी।
सुन्दर कर्म बनाओ , जीवन का सुख पाओ।
.....

लालच को अब त्यागो, सूर्य बनो सब जागो ।
चन्दन सा तन धारो , धाम करो तुम चारो ।
......
नाव चले जब धारा, राम करें भव तारा ।
राह मुझे दिखलाओ, अद्भुत नाम कमाओ ।
....
सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज

----------------------------------------
चित्रपदा छंद
८ वर्ण,वार्णिक छंद है,अंत दो गुरु
मापनी...२११ २११ २२


जो बजरंग बली है। राम तरंग पली है।
भक्त अनन्य कहाए। प्रीत अखंड जगाए।।

देह विशाल दिखाते। सूक्ष्म कभी बन जाते।
शक्ति अपार निखारे। दानव हाय पुकारे।।

रावण को उकसाए। भूत पिशाच भगाए।
दीन दुखी रखवारे। भक्त अनेक पुकारे।।

सौमित्र प्राण बचाए। प्रभु दुलार लुटाए।
बुद्धि कृपा तुम दाता। हे हनुमान विधाता।।

सुवर्णा परतानी
हैदराबाद

--------------------------------------
चित्रपदा छंद-वार्णिक छंद
8 वार्णिक अंत 2 गुरु अनिवार्य
मापनी-211 211 22...


कंचन कुंतल काया, अग्नि प्रचंड समाया,
क्यों भटके मन तृष्णा, जाप मना हरि कृष्णा।

जीवन के दिन चारी, नाथ सुनो गिरधारी,
भक्ति सुधा बरसा दे, मुक्ति सुमार्ग दिखा दे।

श्याम छटा अति प्यारी, सुन्दर नैन कटारी,
पाप कटे भव बाधा, नाम जपो हरि राधा।

जीवन कष्ट अगाधा नाथ हरो मम बाधा,
मोहन कुंज बिहारी, श्याम सखा बनवारी।

ममता गुप्ता
आर्य नगर उतरौला
जिला-बलरामपुर

-----------------------------------
🌸अनुष्ठुप अष्ठाक्षर वृत्त
चित्रपदा छंद
211 211 22 आठ वर्ण
भगण भगण गुरु गुरु
🌹
कष्ट मिटे जप रामाद्वेष मिटे जप श्यामा ।
पार करे यह नामाजीवन में यह कामा।।
*****************
प्रीत सदा फलती है।रीत यही चलती है।
पंख पसार खड़ा है।प्राण पखेरू अड़ा है।
****************
आज सभी यह गायेराम जपे सुख पाये
चाह जगे मन द्वारेवो भव सागर तारे।।
*****************
🌹🌹
अरविन्द चास्टा , कपासन -चित्तौड़गढ़

--------------------------------------------------
चित्र पदा छंद
8 वर्ण वार्णिक छंद
मात्रा भार :- 211 211 22


धूसर है मत दाता ,दे मत वो पछताता ।
खेल करे हर नेता ,पीड़ लगे हर लेता ॥
****************
लोभ बसे मन न्यारा ,राज करूँ बस सारा ।
लोग नहीं अपनाने ,राज करें मनमाने ॥
****************
झूठ सदा कह जाते ,तोड़ रहे कर वादे ।
देश भले लुट जाए ,सँग भले छुट जाए ॥
**************
बोल सभी मन भाए ,कौन भला समझाए ।
भेष धरे बस झूठा ,बेच रहा मत लूटा ॥
***************
जाग जरा मत दाता ,सोच नहीं कर पाता ।
आज सही जन लाओ ,आज करें प्रण आओ ॥

॥ जय हिंद ॥
स्वरचित : राम किशोर , पंजाब ।

----------------------------------------------
चित्रपदा छन्द। (विनती)
वर्णिक 8 वर्ण अंत 22
211/211/2 2
प्रेम करो भज रामा ,पूरण हो सब काजा

मालिक संकट टालो ,जीवन सुन्दर डालो


प्रभु दवारिहि आये ,संकट दूरहि जाये
आस न होय अधूरी ,दूर रहे मजबूरी।

ऋतु गुलाटी
---------------------------------------------------
चित्रपदा छन्द
प्रति चरण: 8 वर्ण
प्रत्येक चरण : भगण(211) भगण(211) गुरु गुरु(22)


चंचल नैन तुम्हारे, काजल से कजरारे।
मंजुल रूप सजीला, ढूढ़त छैल छबीला।

मोहक ये तरुणाई, सुंदर ज्यूँ अरुणाई।
स्वर्णिम रंग सजी है, कोमल प्रेम कली है।

केश खुले घुँघराले, ज्यूँ बदरा मतवाले।
पायल को छनकाती, घूम रही बलखाती।

रैन गयी तम भागे, भोर भई सब जागे।
देख रहा हर कोई, रात जगी कब सोई।

याद जगाय पिया की, पीड़ सताय जिया की।
बैरन रैन भयी रे, जागत भोर हुई रे।

जितेंदर पाल सिंह

No comments:

Post a Comment