🌹🌹सभी गुणीजनों को नमन 🙏
पिछली पोस्ट पर #जापानी #कविता की विधा #हाइकु पर संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की , आप सभी ने उम्दा हाइकु लिखे सभी का हार्दिक आभार । हाइकु पोस्ट ब्लॉग में सभी की रचनाओं के साथ प्रकाशित कर दी गई है।
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज जापानी कविता शैली अन्य विधा #तांका प्रस्तुत है।
🌹तांका जापानी कविता🌹
इसे हाइकु की जन्मदात्री शैली कहा जाता है । ये 7 पंक्तियों में लिखी जाती है , इसमें क्रमशः 5+7+5+7+7= 31 वर्ण का विधान है । विशेषता यह की प्रथम 3 पंक्तियो की पूर्णता को अंतिम 2 पंक्तियों में स्पष्ट किया जाता है। ये एक श्रृंखला की भाँति लिखी जाने वाली आकर्षक काव्यविधा है। अन्य शब्दों में कोई एक कवि हाइकु 5,7,5 लिखता है दूसरा उसे दो पंक्ति 7,7 में पूर्णता अथवा प्रत्युत्तर देता है । जब ये श्रृंखला आगे बढ़ती है तो इसे #रेंगा कहा जाता है । लेकिन जब कोई एक ही कलमकार 5,7,5,7,7 पर लिखता है उसे ताँका कहा जाता है। इसमें किसी विषय की बाध्यता नही होती है। आइये इस विधा पर हम कुछ प्रयास करें ,सीखने के क्रम में। कमेंट में अपनी रचना प्रेषित करें सभी रचना #साहित्य_अनुरागी ब्लॉग में प्रकाशित की जायगी , #रचना के अंत में अपना नाम और स्थान अवश्य लिखें ।
दिनांक 20 जन.2020 तक प्रेषित की गई सभी रचना सम्मलित की जायगी।
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तांका #विधा पर एक प्रयास
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बसन्त आया,
खुशियां छा गई है,
नवपल्लव,
ऋतु का सरताज है
सर्वत्र उल्लास है।।
अरविन्द चास्टा
कपासन चित्तौड़गढ़ राज.
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साहित्य अनुरागी
विषय ..मोती। विधा...तांका
(1)
सुन्दर मोती
कृष्ण पसन्द मोती
सीप मे बंद
स्वाति नक्षत्र जन्म
हम सब पहने।।
(2)
ठंड़क देता
मोती पहने प्रिया
खूबसूरत
त्योहार जरूरत
दीवाली मे खरीदे।।
स्वरचित
ऋतु गुलाटी। हिसार हरियाणा
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विषय ;- उत्सव
विधा ;- तांका ( जापानी विधा)
पांच चरणों में वर्णों की संख्या क्रमशः ५-७-५-७-७
=३१वर्ण
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१🥀;---- उत्सव संग
मकर संक्रान्ति है
तीज त्यौहार
उमंग उल्लास की
उत्सव बौछार की ।।
२🥀--- ऋतु वसंत
चाँद उतरा धरा
नीले नभ से
शर्माता झाँकता जो
फाल्गुनी उत्सव में ।।
३🥀--- सूर्य संक्रान्ति
टेसू के फूल खिले
हवा बहकी
खुशियां संग लाई
उत्सव मिलने की ।।
४🥀--- तीज त्यौहार
पतंग ने सिखाया
भाव विभोर
उल्लासित मन से
प्रेम भावना प्यार।।
विनीता सिंह "विनी"
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*तांका*
(1)
मानव देह
कठपुतली सम
कर्म विधान
डोर किसी के हाथ
नाचे दिन औ रात
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(2)
धरा अधीर
बढ़ती जाती पीर
काले बादल
बरसाते हैं नेह
शीतल होती देह
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(3)
नारी जीवन
सब कुछ अर्पण
अंधेरे रास्ते
पावँ बंधे जंजीर
पीती मन की पीर
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~प्रभात
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तांका
5,7,5,7,7 (31 वर्ण)
हर्षित धरा
बसन्त आगमन
मनभावन
किसान है झूमता
भौंरा मग्न घूमता।
कोयल गाती
सदा प्रेमिल गीत
उर को भाता
मन सदा सींचता
चित्र नया खींचता।
कृष्णा श्रीवास्तव
हाटा,कुशीनगर
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तांका-1
महक उठी
सारी पृथ्वी जागृत
पेड लगाओ
जीवन बचाकर
परेशानी भगाओ ।
रजिन्दर कोर (रेशू )
अमृतसर
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मौन
विद्या-तांका
जुबां खामोश
थरथराते लब
शब्द भी मौन
तड़पाती खामोशी
छाई है मदहोशी।।
मौन रहना
कुछ भी न कहना
सिर्फ सहना
क्यों ये अत्याचार
सहना पड़े वार
मौन रहना
है सजा बराबर
सहना नही
यों आवाज उठाओ
जुर्म नही छुपाओ।
रानी
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विषय ;- रूप
विधा ;- तांका ( जापानी विधा)
पांच चरणों में वर्णों की संख्या क्रमशः ५-७-५-७-७
=३१वर्ण
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१
अनूठा रूप
बसन्ती हुई धरा
पवन बहे
ठण्डी बयार हुई
मन मचल रहा
२
केश हैं काले
नागिन बल खाते
मेघ छाए हैं
नैन लरजाए हैं
रूप बहकाए है
राज राजेश्वरी
(दिल्ली)
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विधा तांका ( जापानी विधा)
57577
31 वर्ण
विषय पर्व
1
लगा माघ है
पर्व सुन्दर आया
देवता आये
छटा बिखेरती है
चांदनी मधुमास
....
2
स्नान से पुण्य
त्याग और व्रत है
तीर्थ प्रयाग
बसते जो धन्य है
गंगा पूजनीय है
......
सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज
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हिंदी दिवस को समर्पित
'ताँका'
जापानी काव्य विधा,
वर्ण : पांच पंक्तियों में वर्णों की संख्या क्रमशः -5,7,5,7,7
राष्ट्रभाषा है,
'ह' पे 'इ' की मात्रा है,
बिंदी 'अं' संग,
'द' पे 'ई' की मात्रा है,
ये 'हिंदी' की भाषा है।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सम्मान करो,
हिंदी में बात करो,
हिन्दवासी हो,
क्यों? अपमान करो,
ये प्रचारित करो।
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अंतर्राष्ट्रीय,
अंग्रेजी भाषा जानो,
पर हिंदी को,
कम न पहचानो,
उत्तम श्रेष्ठ मानो।
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अंग्रेज़ी वक्ता,
ज्ञान का है भंडारी,
अवश्य होगा,
हिंदीभाषी गँवारी,
सोच है कुविचारी।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आज ये ठान,
हिंदी अपनी मान,
भाषा प्रसार,
हो इसका उत्थान,
कार्य होगा महान।
जितेंदर पाल सिंह
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मन में राम(विद्य्या हायकु)
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©®स्वरचित…🖊️
"मन" का नाथ
देता सबका साथ
श्री "प्रभु राम"
सिर पे जटा
एक हाथ धनुष
अयोध्या राम
प्यारा सबका
बोले है जग सारा
जय श्री राम
"मन" से प्यारा
तन से उजियारा
"राम" हमारा
नाम छोटा सा
तन में "प्रभु राम"
"मन" में राम
…🖊️विनोद शर्मा🇮🇳विश
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साहित्य अनुरागी
विषय..स्वामी विवेकानंद जयन्ती
विधा..तांका (जापानी विधा)
मापनी..5/5/7/7/7-31वर्ण
🥀🥀🥀🥀🥀
विवेकानंद
युवा दिवस
अनमोल विचार
उठो जागो तत्पर
सत्य सनातन है
🥀🥀🥀🥀🠊राष्ट्र हित में
विजय ध्वज
लक्ष्य के अनुरूप
मात पिता संस्कार
है सनातन धर्म
🥀🥀🥀🥀🥀
जवानी जोश
युवा का होश
भारत का गौरव
शत शत नमन।
रच दो इतिहास
🥀🥀🥀🥀🥀
स्वरचित
ऋतु गुलाटी
हिसार हरियाणा
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🏵 विधा -तांका🏵
विषय - मोती / सीपिज /शशिप्रभा
1
गहन तम
हृदय करामात
जाता है छंट
मन सीप से मोती
उर स्वपन पिरोती।
2)
हर्षित जिया
अनुपम उल्लास
पुष्प तितली
अलि-कलि अधर
शशिप्रभा बिखेरे
नीलम शर्मा
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........तांका.........
(१).....जवान......
शूर जवान
बैठा बंदूक़ तान
बढा क़हर
शत्रु पर नज़र
छोड़े ना वो कसर।
जान है देता
वो ना डगमगाता
आख़री साँस
आझादी की आस
हिंदुस्तान है ख़ास।
(२)........नारी.....
सहनशील
है सृष्टि रचयिता
ममतामयी
ये भारतीय नारी
क्यूँ पुरुषों से हारी।
सुवर्णा परतानी
हैदराबाद
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विधा तांका (जापानी विधा)
57577
31वर्ण
विषय अभिमान
1
कर लो स्नेह
अभिमान को त्याग
है अहंकार
हंसता यहां जब
द्वेष मन पलता
......
2
ईर्ष्या दूर हो
मन से मन मिले
प्रेम करना
वतन से अपने
हो संकल्प हमारा
......
सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज
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नाम के दाने (विद्य्या तांका)
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©®सर्वाधिकार सुरक्षित,स्वरचित
इस जीवन
सांसों के ताने बाने
थोड़ी दुख की
सलवटें सी बाकि
उलझी हुई सी हैं
सुख के कुछ
फूल सुहाने भी हैं
क्यों हैं सोचते
आगे भी क्या होना है
कौन से ठिकाने है
उपर बेठा
वो एक बाजीगर
जाने मन में
क्या बैठकर ठाने
तुम क्यों सोचते है
जितना चाहे
तुम जतन करें
झोली भरनी
आएंगे वो ही दाने
जो तुम्हारे नाम हैं।
तुम ना सोचो
यही "चाहत"होती
आप सबसे भी
विनोद शर्मा"विश" भी तो यही चाहे है।
...🖊️विनोद शर्मा"विश" दिल्ली
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साहित्य अनुरागी
विषय...आसमान
तांका (जापानी विधा)
5/7/5/7/7-31 वर्ण
(1)
ऋतु की रानी
शरद की ठंड़क
धुंध आयेगी
दिन रात बदले
गिरता तापमान।।
(2)
कोहरा छाये
आसमान धुंधला
दंत बजते
रजाईयां दो
आग आनंदमय।।
(3)
शरद ऋतु
पतझड़ के बाद
बारिश ठंड
तेज चले हवाऐ
आसमान साफ हो।।
स्वरचित
ऋतु गुलाटी
हिसार हरियाणा
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विधा:- ताँका( जापानी विधा)
कुल 31 वर्ण
5,7,5,7,7, वर्ण विधान
सघन मेघ,
चमकती दामिनी,
चली बयार,
उफनती नदिया
महकती बगिया।
********************
वसुधा सजी
हरियाली चुनर
खिलते फूल,
रंगीन तितलियाँ,
मुस्कराती कालियाँ।
********************
नाचे मयूर,
कोयल की कुक,
डाली में झूले,
रिमझिम संगीत,
प्रियतम की प्रीत।
********************
मिलन आस,
प्रणय परिभाष,
गगन झुका,
शिखरो को चूमते,
धरा पर झूमते।।
*******************
सरस् नैन
मलय मद रैन,
गरजे घटा,
सुरभित पवन,
प्रियतम मिलन।।
**********************
रचनाकार
डॉ नीरज अग्रवाल"नन्दिनी"
बिलासपुर( छत्तीसगढ़)
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विधा - तांका
5-7-5-7-7
***
पथ नयन
तुम तक गमन
न दूजी राह
मधुर इक चाह
तुम में पाऊं थाह
*****
स्नेह का अर्श
कंत नयन स्पर्श
प्रेमिल अर्ध्य
प्रणयन आराध्य
आत्मा से हुआ साध्य
ललिता गहलोत
सूरत
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विषय-दोस्त
विद्य्या-तांका (जापानी विद्य्या)
57577
©®सर्वाधिकार सुरक्षित…🖊️स्वरचित
जीना है तुम्हें
कुछ इस तरह
फूलों के जैसे
खुशबू "दोस्त" को दें
जियो दोस्तों के लिए ।
मरो तो ऐसे
जवानों की तरह
शहीद होंये
वतन की रक्षा पे
मरे औरों के लिए ।
मदद करो
कभी कमजोरों की
जिना भी तो वो
रहता ही है ठीक
हो दूसरों के लिए ।
…🖊️विनोद शर्मा🇮🇳विश दिल्ली
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साँझ
तांका
5,7,5,7,7 वर्ण
सिंदूरी मांग
सुहागिन सी संध्या
प्रतीक्षारत
लौटे है दिनकर
दीपक जलाकर।
गोधूलि बेला
विहग कलरव
नभ केसरी
बढ़ते पदचाप
चमके रजकण।
गीता गुप्ता 'मन'
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साँझ
तांका
5,7,5,7,7 वर्ण
सिंदूरी मांग
सुहागिन सी संध्या
प्रतीक्षारत
लौटे है दिनकर
दीपक जलाकर।
गोधूलि बेला
विहग कलरव
नभ केसरी
बढ़ते पदचाप
चमके रजकण।
गीता गुप्ता 'मन'
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