Saturday, May 16, 2020

"विद्याधारी_छंद" - Hindi Poetry



"जगती द्वादशाक्षरावृत "

12 वर्णिक छंद।

 "विद्याधारी_छंद"

मगण ×4

यथा

222 222 222 222
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विद्याधारी छंद

१२ वर्णिक

२२२×४


तीखा हाला क्यों पीता है पीने वाला?
ऐसा चस्का क्यों पाला वो भोलाभाला।
बोलो क्या-क्या झेला जो प्राणी वो हारा?
होगा वो भी सोचो कोई माँ का प्यारा।।

अभय कुमार आनंद
विष्णुपुर, बाँका,बिहार व
लखनऊ ,उत्तरप्रदेश

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विद्याधारी छंद

मगण,मगण,मगण,मगण

२२२ २२२ २२२ २२२


जो बोओगे वो काटोगे मेरे साथी।
अच्छाई ही जो बाँटोगे मेरे साथी।।
सच्चाई को जो पूजोगे मेरे साथी।
मीठी यादों में गूँजोगे मेरे साथी।

रातों में माँ तेरी लोरी में खो जाना।
पीड़ा की थाती ले गोदी में सो जाना।।
यादों में रोजाना आती है प्यारी माँ।
आँखों में मेरी सो जाती है प्यारी माँ।

कृष्णा श्रीवास्तव
हाटा,कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

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विद्याधारी छंद

१२ वर्णिक छंद,

२२२ २२२ २२२ २२२


सारी ये रातें तेरे यादों में काटी।
थोड़ी सी रोके थोड़ी सोके है बाँटी।
कैसे ये जानूँ कैसे मैं मानूँ यारा ?
तू ही है न्यारा तू ही है मेरा प्यारा?।।१।।

तेरे ही छाया में जीना था ओ साथी।
तेरे ही बाहों में खोना था ओ साथी।
सारी ये बातें क्यूँ पूरी हो ना पायी?
कैसी ये पीड़ा कैसी ये ज्वाला लायी?।।२।।

कैसे भूला तू मैं तो थी तेरी प्यारी।
मेरी सारी साँसे यारा देखो हारी।
तोड़ो वो सारी यादें जो जोड़े नाता।
ख़ाली था झोला मेरा ख़ाली ही जाता।।३।।


सुवर्णा परतानी
हैदराबाद

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विद्याधरी छन्द (वार्णिक)
12 वर्ण प्रति पंक्ति
222×4

मगण×4

नीले नीले नैना तेरे झीलों जैसे,
दूरी तेरी मेरी लाखों मीलों जैसे,
हारा हूँ तेरी आँखों मे ही
डूबूगाँ,
तेरी बाहों में बांहे ले मै तैरूँगा।
*** *** *** *** ***
ढूँढूँगा छाया तेरे प्यारे गीतों में,
रिश्ते सारे भूलूँगा झूठी रीतों में,
गूंजेंगी मेरे गीतों में तेरी बातें,
बीतेंगी बाहों में तेरी न्यारी रातें।
*** *** *** *** ***
फूलों की क्यारी में है रंगों के मेले,
झूला झूलेगें ये प्रेमी, दो रंगीले,
कान्हा राधा सी जोड़ी है तेरी मेरी,
आशाओं से बंधी होगी सच्ची डोरी।
*** *** *** *** ***
मानो मेरी बातें मैं तेरा ही साथी,
है जन्मों का नाता तेरा मेरा साथी,
जागे तेरे ही ख्यालों में, आओ प्यारे,
घेरे तेरे ही जाना हूँ देखे जाते न्यारे।
*** *** *** *** ***
पाया मैंने प्राणों में सांसों में देखा है,
खोया तो रोया रातों नैनो रेखा है,
रानी हो प्राणों से प्यारी, राजा तेरा,
भूला हूँ मैं सारी बाते साथी तेरा।
*** *** *** *** ***
काले काले नैनो वाली, जादू डाले,
बातें न्यारी प्यारी नैना, भोले भाले,
सोना चांदी हीरे मोती, सारे तेरे,
सातों जन्मों साथी सातो लूँगा फेरे,
*** **** *** *** ***
रचनाकार
डॉ नीरज अग्रवाल नन्दिनी
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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विद्याधारी_छंद
मगण ×4
यथा

22 2 2 22 22 2 2 22

जाने कैसी ये तेरी माया है कान्हा !
ताना बाना ये क्यूँ फैलाया है कान्हा !
रैना बीती जाये, नैना रोते हाये।
बीती भूलूँ कैसे,बैना तीखे हाये।।

नीले नैना काहे गीले,बोलो प्यारी।
काहे सूखी बेलों पुष्पों वाली क्यारी।।
बातें मीठी ऐसे जैसे चीनी घोली।
भाती गौरी ऐसे जैसे हो रंगोली।।

खोया चैना देखा नेहा, तेरे नैना ।
वाणी की सीढ़ी चाहें, ये मेरे बैना।।
सूनी - सूनी रातों में,तेरी बातें हैं।
प्यारी सी यादें तेरी,चेरी रातें हैं।।
नीलम शर्मा
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 #विद्याधारी_छंद
मगण ×4
यथा
222 222 222 222

जाओ जाओ सैंया, क्यों बोलूँगी मै तो?
आगे पीछे तेरे क्यों डोलूँगी मै तो?
तोड़ा ख़्वाबों को तूने, आशा भी मेरी,
नैनों में लाली देते, आँसू की फेरी।।

क्या मैंने सोचा था ? हारूँगी बाजी मैं!
तेरे मीठे बोलों से , कान्हा राजी मैं।
क्या माँगा था ऐसा, साथी रूठा तू क्यों?
मैं टूटी सी वीणा , बूटा सूखा सा ज्यों!!

झूठा तेरा वादा, तू भी झूठा जाना,
धंधा झूठी बातों का है तेरा माना ।
सीधी-सच्ची मैं हूँ, बातें सीधी मेरी,
कैसे बाँधी तूने,झूठी चालों तेरी?

डूबा -डूबा है जी , साँची मैं बोलूँ रे!
ओ कान्हा!,आ भी जा, द्वारे मैं खोलूँ रे!
देखो पी!, भूलो भी, बातें सारी खारी,
देखो मैं तो हारी, जोड़ो सैंया यारी।।

मणि अग्रवाल
देहरादून(उत्तराखंड)

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 विद्याधारी छंद
12 वार्णिक छंद
मगण×4

222 222 222 222

तूने साथी पीड़ा से जो जोड़े नैना ।
आंसू छोड़ें नैना, चौड़े-चौड़े नैना ।।

मीठी-मीठी बोली तेरी मोहे भाती ।
तेरी ये बातें ही तो थी मेरी थाती ।।
सूनी-सूनी काया खाली-खाली छाती ।
दागे ज्वाला मोहे यूँ ज्यों सूखी पाती ।।

निद्रा है रूठी जाती झिंझोड़े नैना ।
आंसू छोड़ें नैना, चौड़े-चौड़े नैना ।।

दुःखों से बिंधी वैताली रूठी दे दी ।
क्या पीना जो हालाहाली फूटी दे दी ।।
हाथों में मेरे ये प्याली झूठी दे दी ।
मांगी थी छाया, डाली टूटी दे दी ।।

लाली गाढ़ी दे दी, हैं दो थोड़े नैना ।
आँसू छोड़ें नैना, चौड़े-चौड़े नैना ।।

दर्दीली ये पीड़ा माखी के डंको सी ।
आहों के अंकों सी, राहों के पंकों सी ।।
खट्टी-मीठी यादें झाड़ी के बेरों सी ।
आशा मेरी ठाडी मारू के केरों सी ।।

कस्तूरी छौने के जैसे दौड़े नैना ।
आँसू छोड़ें नैना, चौड़े-चौड़े नैना ।।

रमेश विनोदी

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#विद्याधारी छंद 【वार्णिक】
12 वर्ण प्रति पंक्ति
मगण× 4

222 ×4

222 222 222 222
कारे कारे गेसू तेरे लूटे चैना
जागी जागी रैना, जागे मेरे नैना।
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गोरी तेरी भोली बातें ,झूठा वादा
काली आंखें झूठी,आँसू आये ज्यादा।
पानी की धारा सी ,कष्टों की कारा सी
प्यारी प्यारी बातें ,तेरी ज्यों पारा सी।
कानों में गूँजें वो मीठी बोली मैना
जागे जागे नैना ,सोई सोई रैना।
●●

प्राची से पाती ले ,आये मेघा कारे
आई संझा हौले ,हौले तेरे द्वारे
लागे प्यारी तेरी वाणी हे कल्याणी
,खोजे नैना खोया मोती तू पाषाणी
ले आना वो ही पीड़ा औ' तीखे बैना
जागे जागे नैना ,सोई सोई रैना।
●●●
सौंपा क्यों भोली नारी जाना वैरागी ?
फूलों का गुच्छा था क्या ,या मैं रागी ?
नीली आंखों जागी कोई पीडा भूली
आती जाती साँसें जैसे झूला झूली
संध्या सी तेरी यादें, वो रातें देना ।
जागे जागे नैना ,सोई सोई रैना ।
#मनोरमा जैन पाखी

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 #विद्याधारी_छंद,मगण ×4
222 222 222 222
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कैसे बूझे,आत्मा की ये तृष्णा घेरी।
माना मैने,माया सारी कृष्णा तेरी।
सृष्टा तू है,पुष्टा तू ही,तू ही योगी।
मैं अज्ञानी बाना ओढ़े,ढोंगी-भोगी।

#रागिनी_नरेंद्र_शास्त्री

2 comments:

  1. आभार आद. , विद्याधारी पर उम्दा भाव की रचनाएँ मुझे स्थान देने हेतु आभार 💐💐😊

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